विगत तीन दशकों में कृषि उत्पादन में आशातीत वृद्वि हुर्इ है। उत्पादन में वृद्वि उन्नतशील प्रजातियों के विकास विस्तृत क्षेत्र में उगाया जाना, जल, उर्वरक तथा भूमि का समुचित प्रबंधन, नर्इ तकनीक एवं उन्नत कृषि यंत्रों का कृषि में समावेश के कारण संभव हो सकी। अधिक उपज देने वाली रोगरोधी अधिक पोषण सहिष्णुतायुक्त प्रजातियों का उत्पादन बढा़ने में उल्लेखनीय योगदान रहा है। उन्नतशील प्रजातियों में भी उत्तम गुणवत्ता युक्त बीज उत्पादन प्रापित में सबसे महत्वपूर्ण है। अत: निरन्तर बढ़ते उत्पादन लक्ष्य प्राप्त करने के लिये अच्छे गुणवत्तायुक्त बीज का उत्पादन एवं विस्तृत वितरण आवश्यक है। |
साधारणतया बीज पौधे के फल या अन्य भाग जो फसल उत्पादन के काम आते हैं बीज कहलाते है। उन्नत किस्म के अच्छे बीज में उत्तम गुणवत्ता, आनुवांशिक शुद्धता, दैहिक शुद्धता स्वास्थ्य रोग एवं कीट रोधिता, उचित नमी की मात्रा तथा अधिक अंकुरण क्षमता का पाया जाना आवश्यक है। आधुनिक कृषि युग में उत्पादन वृद्धि हेतु बीज सबसे सस्ता एवं सशक्त साधन है। स्वस्थ आनुवांशिक शुद्धतायुक्त, रोगरोधी बीज जिसकी अंकुरण क्षमता अधिक हो उर्वरक, सिंचार्इ तथा कीटनाशी, खरपतवारनाशी रसायनों के समुचित उपयोग से अपेक्षाकृत अधिक उपज प्रदान करते हैं। अत: किसानों का अधिक उपज प्राप्त करने तथा उनके द्वारा उत्पादन हेतु उपलब्ध साधनों के भरपूर लाभ की प्रापित हेतु उत्तम गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध कराना अति आवश्यक है। बीज की गुणवत्ता दैहिक एवं आनुवांशिक शुद्धता, बीज की श्रेणी पर निर्भर करती है। बीज उत्पादन की सफलता बीज गुणवत्ता पर आधारित है। गुणवत्ता का अभिप्राय आनुवांशिक शुद्धता, जीवन, योग्यता, खरपतवार एवं रोगमुक्त होने पर निर्भर है। |
किसी भी फसल की उन्नतशील प्रजाति अभिजनक द्वारा विकसित की जाती है। तत्पश्चात विकसित प्रजाति व्यापक रूप से उपज अनुकूल जैविक एवं अजैविक कारकों, रोगरोधिता उर्वरक संवेदनशीलता आदि का मूल्यांकन कम से कम तीन वर्ष की अवधि तक करने के पश्चात अच्छी पाये जाने पर किसानों को उत्पादन के लिये दिये जाने हेतु विमोचित की जाती है। विमोचन प्रजाति उपरांत भारत सरकार के कृषि मंत्रालय की फसल मानक एवं बीज उपसमिति द्वारा अधिसूचित की जाती है। तदुपरान्त नवीनतम विकसित एवं विमोचित का पीढी़गत उत्पादन विधि द्वारा बीज सम्वर्धन किया जाता है। विमोचन के समय प्रजनक के पास बहुत कम मात्रा में आनुवांशिक रूप से शुद्ध बीज उपलब्ध होता है जो नाभिकीय बीज कहलाता है। इसके उत्पादन का दायित्व संबंधित प्रजनक का होता है। इसी नाभिकीय बीज से बीज की अन्य श्रेणियों का उत्पादन किया जाता है। प्रत्येक वंशवृद्धि में बीज की आनुवाशिंक एवं दैहिक शुद्धता प्रभावित होती है। मुटेशन आनुवांशिक डि्रप्ट, असंबंधित परागकण से विषेचन, पृथक्करण के कारण आनुवांशिक शुद्धता में कमी आती है। निरन्तर गुणन चक्र में रहने के कारण विकास के गुणों में परिवर्तन होते रहते हैं और प्रजाति के मूल स्वरूप में भिन्नता उत्पन्न हो जाती है। आनुवांशिक शुद्धता बनाये रखने के लिए पीढ़ीगत विधिचक्र में बीजों की फसल उगार्इ जाती है। |
बीज की विभिन्न श्रेणी क्रमवार निम्न प्रकार है |
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बीजों की उपरोक्त श्रेणियाँ सर्वप्रथम वर्ष 1946 में अंतराष्ट्रीय फसल सुधार एसोसियेशन द्वारा चारे की फसलों के लिये वर्गीकृत किया गया था तत्पश्चात वर्ष 1986 में सभी फसलों में इसी वर्गीकरण मान्य समझा गया, सभी श्रेणियों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है- |
नाभिकीय बीज |
इस श्रेणी का उत्पादन प्रजनक के द्वारा चयनित समरूप एकल पौधों के सम्बर्धन से किया जाता है। अन्य सभी श्रेणियों के बीज का स्रोत नाभकीय बीज ही होता है। प्रजनक, आधारीय एवं प्रमाणित बीज की गुणवत्ता नाभकीय बीज पर निर्भर करती है। इस श्रेणी द्वारा प्रचलित एवं नवीनतम प्रजाति दोनों की आनुवांशिक शुद्धता एवं गुणवत्ता को बनाये रखा जाता है। |
प्रजनक बीज |
बीज की यह श्रेणी भी प्रजनक की देखरेख में नाभकीय बीज से अनुसंधान केन्द्र या कृषि विश्वविधालय द्वारा तैयार की जाती है। प्रजनक बीज का उपयोग आधारीय बीज उत्पादन हेतु किया जाता है। प्रजनक बीज का अनुश्रवण संयुक्त रूप से संबंधित प्रजनक, बीज प्रमाणीकरण संस्था तथा राष्ट्रीय बीज निगम के अधिकारी एवं उत्पादक संस्था द्वारा किया जाता है। प्रजनक बीज की आनुवांशिक शुद्धता शत प्रतिशत होती है। |
आधारीय बीज |
आधारीय बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा बीज अधिनियम की धारा-8 के अन्तर्गत प्रमाणित बीज की श्रेणी है जो कि प्रजनक बीज से उत्पादित किया जाता है। इस श्रेणी के बीज की आनुवांशिक शुद्धता 98 प्रतिशत होनी चाहिये। इस बीज से प्रमाणित बीज का उत्पादन किया जाता है। आधारीय बीज का उत्पादन कृषि विभाग, अनुसंधान केन्द्र, राष्ट्रीय बीज निगम, कृषि विश्वविधालय के फार्र्म तथा मान्यता प्राप्त फार्मो पर किया जाता है। आवश्यकतानुसार आधारीय बीज की प्रथम एवं द्वितीय अनुरूप बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा आंकी जाती है। |
प्रमाणित बीज |
प्रमाणित बीज आधारीय बीज की संतति होती है, जिसका उत्पादन बीज प्रमाणीकरण संस्था की देख-रेख में निजी क्षेत्र की बीज उत्पादन कम्पनी कृषि विभाग के प्रक्षेत्र संस्थायें तथा प्रगतिशील किसानों के द्वारा किया जाता है। प्रमाणित बीज का उत्पादन विशेष परिसिथतियों में प्रमाणित बीज से भी किया जा सकता है। |
प्रजनक बीज पर सुनहरा पीला, आधारीय बीज पर सफेद तथा प्रमाणित बीज पर नीले रंग के टैग लगाये जाते है। प्रजनक बीज से आधारीय बीज एवं प्रमाणित बीज से उत्पादन हेतु बीज उत्पादकों को बीज की फसल को बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा पंजीकृत कराना चाहिये, बिना पंजीकरण के बीज की गुणवत्ता का प्रमाण-पत्र प्राप्त नहीं किया जा सकता। |
टुथफुली लेबल्ड बीज |
कृषक या संस्थायें जो बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा पंजीकृत बीज नहीं उगाना चाहते हैं, वह बिना पंजीकरण के भी बीज उगा सकते है। ऐसे बीज को टुथफुली लेबल्ड बीज कहते है। यह बीज प्रमाणित के सभी मानकों के अनुरूप होता है। |
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